कोहिमा: नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि राज्य की उन सात जनजातियों में ‘सद्बुद्धि’ आएगी, जिन्होंने अलग राज्य की अपनी मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए 27 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है.
सात कबीलों के कई संगठनों ने भी अलग-अलग फरमान जारी कर अपने समुदाय के सदस्यों से उन पदों से इस्तीफा देने को कहा है जो वे राजनीतिक दलों में संभाल रहे हैं।
इन संगठनों ने यह भी चेतावनी दी कि अगर उनके किसी सदस्य ने चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया तो उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे।
नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के प्रमुख रियो ने कहा, “मुझे उनके फैसले के बारे में कुछ नहीं कहना है। लेकिन लोकतंत्र में सरकार बनाने के लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों की आवश्यकता होती है। मुझे आशा है कि अच्छी समझ बनेगी।”
इन सात जनजातियों की सर्वोच्च संस्था ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) 2010 से एक अलग राज्य ‘फ्रंटियर नागालैंड’ की मांग कर रही है, जिसमें मोन, नोकलाक, किफिरे, लोंगलेंग, शामतोर और तुएनसांग जिले शामिल हैं।
आने वाले चुनाव के लिए एनडीपीपी और बीजेपी के बीच चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए 40:20 सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले पर हो-हल्ला मचाने के बारे में पूछे जाने पर रियो ने कहा कि उनकी पार्टी मौजूदा व्यवस्था से नहीं हटेगी।
एनडीपीपी और बीजेपी ने 2018 का चुनाव 40:20 सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले के साथ लड़ा और सरकार बनाने के लिए क्रमशः 18 और 12 सीटें जीतीं।
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उन्हें नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के दो विधायकों, जद (यू) के एक विधायक और एक निर्दलीय का समर्थन प्राप्त था।
गठबंधन के सहयोगियों ने 40:20 के फॉर्मूले को जारी रखने का फैसला किया है, लेकिन दोनों पार्टियों के कई नेताओं ने इसमें बदलाव की मांग की है।
रियो ने कहा, “दोनों दलों के बीच कोई दोस्ताना मुकाबला नहीं होगा और हम फैसले पर कायम हैं। हम उनकी सीटों पर उनका समर्थन करेंगे और वे हमारी सीटों पर हमारा समर्थन करेंगे।”
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सीएम ने कहा कि दोनों पार्टियां इस महीने के भीतर साझा किए जाने वाले निर्वाचन क्षेत्रों को अंतिम रूप देंगी और फिर एनडीपीपी अपने उम्मीदवारों की सूची की घोषणा करेगी।
नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 30 जनवरी है। चुनाव 27 फरवरी को होगा जबकि वोटों की गिनती दो मार्च को होगी।